Saturday, 2 June 2012

वाह रे बिहार में सुशासन...

वाह रे बिहार में सुशासन...!

आज रणबीर सेना के प्रमुख ....ब्रह्मेश्वर मुखिया..... की दिन दहाड़े हत्या कर दी गयी...
उस नेता की ....जिसने बिहार में लालू और उसके भ्रष्ट गुंडों के राज में भी नक्सलियों की बढ़त को पूरे पंद्रह ...बीस वर्ष रोके रखा

जो लालू के राज में नहीं मारे गए वह नीतिश की ....अहिंसा, विकास, सुशासन की पोलिटिक्स... की भेंट चढ़ गए

बिहार एक बहुत बड़े देशद्रोही ....षड्यंत्रकारी ...मुख्यमंत्री की चालों में फंस गया है...
इस व्यक्ति को पहचानना ही होगा ...जिसका नाम है... नीतिश ...!!
बुद्ध के धर्म के प्रचार प्रसार के नाम पर चीन से आ रही अथाह थैलियाँ और नक्सलियों के लिए हथियार ... बिहार को ले डूबेगा

इस मुख्यमंत्री का विकास का ढोंग .... एक छलावा है...
रोज बिहार में नक्सली हथियार ढो रहे हैं... पुलिस चुपचाप आँख मूंद के पीठ घुमा लेती है...
या मीडिया इसको छिपा लेती है
पूरा बिहार नक्सलियों के लिए ग्रीन बेल्ट बनता जा रहा है ...

नीतिश की सरकार एक तरफ विकास का इतना बड़ा ढोंग कर रही है कि उसे मानसिक डर लगता रहता है .....
अगर कभी पुलिस और नक्सलियों के बीच मुठभेड़ के समाचार राज्य से बाहर मीडिया में आ गए ..
तो इससे ...सुशासन... की पोल खुलेगी ...
इसलिए पुलिस चुपचाप नक्सलियों को उनका काम करने दे रही है...
और नक्सली इस संधि विराम का लाभ उठा के गाँव गाँव में फ़ैल रहे हैं...

अगर यह नितीश कुमार की सरकार केवल दो-चार वर्ष और रही...
तो कल चीन ....झारखण्ड, उड़ीसा छोटानागपुर के पठार और बिहार को निगल जायेगा...
उसे इस क्षेत्र की अथाह खनिज सम्पदा चाहिए ...उसे ओड़िसा का समुद्र तट चाहिए...
जो उसे मिल गया तो बाकी देश में रखा ही क्या है...
कोयला, लोहा, ताम्बा, मैंगनीज, अभ्रक, यूरेनियम ... क्या नहीं है...यहाँ
इस देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है...यह पठार..!!

इस देशद्रोही नेता की सरकार को भाजपा के समर्थन से ऑक्सीजन मिली हुयी है और इसने पुलिस के हाथ पाँव बाँध रखे हैं...!!

अगर भाजपा इस नीतिश को समर्थन जारी रखती है...तो वह भी देश द्रोही है... चीन के नक्सलवाद की अपरोक्ष समर्थक है...!!

रणबीर सेना ने केवल बिहार में उन जगहों पर नरसंहार का बदला नरसंहार से लिया जहाँ नक्सलियों ने निर्दोषों को मारा था...
नक्सली दस निर्दोषों को मारते थे... ये सौ मारते थे

नक्सली सवर्णों को मार रहे थे ...लालू मरवा रहे थे ....केवल इस नाम पर कि वे जमींदार हैं...
जबकि अब बिहार में पुश्तैनी खेत बंटते बंटते एक बच्चे के हिस्से में डेढ़ दो बीघे बचे हैं...

डेढ़ बीघे के जमींदार ..!!!

इस दौर में नक्सलवाद के चलते अनेक सवर्ण जाति के जवानों,बूढों, बच्चों ...औरतों की हत्या हुई... जो नक्सलियों के आतंकवाद की बलि चढ़ गए...
इसके जवाब में रणबीर सेना बनी ...
लालू राज में पुलिस पर जनता का विश्वास नहीं था... रणबीर सेना ने जवाबी नरसंहार केवल उन गाँव में किये जहाँ नक्सलियों का गढ़ था...

नतीजा सामने है...

शक्ति संतुलन बनाये रखने और नक्सलियों की बढ़त को रोके रखने में इस रणबीर सेना ने बड़ी सफलता पाई..
बिहार के अनेक जिलों से नक्सली ....साफ ...कर दिए

लेकिन नक्सलियों के समर्थक ...कम्युनिस्ट नक्सली मीडिया टी वी चैनलों ने .... उनको एक दुष्टों की सेना के रूप के रूप में प्रचारित किये रखा...
जो आज भी करते हैं..और रणबीर सेना की सफलता को दूसरे एंगल से गाली देते रहते हैं..!!

अब जरा इस प्रदर्शन करने वालों को देखिये... इस देश के गद्दार ये कम्युनिष्ट बथानी टोला नरसंहार के आरोपी रणबीर सेना के लोगों को कोर्ट से बरी किये जाने पर अपनी बेशर्मी दिखा रहे हैं..

चीन के इन एजेंटों .... गद्दारों से पूछो ... बथानी टोला नरसंहार को तो याद रखते हो... देश के उन जिलों में जाकर नक्सलियों के विरुद्ध अभियान क्यों नहीं चलते जहाँ नक्सली पूरे प्रशासन को ठेंगे पर रखते हैं...!!


आज उस बूढ़े... मुखिया ....को सम्मान देने के लिए पूरा बिहार उबल पड़ा है...
यह चीन के विरुद्ध एक आक्रोश है...नक्सलवाद के विरुद्ध एक आग है...जो उस अमर वीर की हत्या से धधक पड़ी है...

चीन के हथियारों के बल पर नक्सलियों की हिंसा से डरकर इस देश के बहुत से राज्यों के अनेक जिलों के लोगों ने चुपचाप इनका समर्थन करना शुरू कर दिया है...

मगर भोजपुरी बेल्ट के कुछ गांवों के ब्राह्मणों, राजपूतों और भूमिहारों के युवकों ने अपने घरों के लाइसेंसी हथियारों के बल पर इसी .... मुखिया जी .... के आह्वान पर जवाबी हिंसा करनी शुरू की थी...
ये युवक नक्सलियों के मुखबिरों, समर्थकों का पता लगाते थे और सामूहिक हमले करते थे...

आश्चर्य की बात यह है कि जब चीन प्रायोजित इस छद्म युद्ध से भारत नहीं लड़ता ...
जब बिहार की सरकार को सरकारी लूट खसोट से फुर्सत ही नहीं....

तब उस देश के विरुद्ध केवल कुछ गाँवों का एक बूढ़ा सा ...मुखिया... ऊठ खड़ा होता है...
और उस चाणक्य की सेना के आगे चीन घुटने टेक देता है...

जब किसी व्यक्ति को ....सिस्टम ...से न्याय नहीं मिलता तो वह ऐसे कदम उठाता है...
वो मंगल पाण्डेय बन जाता है या पान सिंह तोमर ...

अगर रणबीर सेना के उन युवकों का आक्रोश गलत था जिनके माँ बाप को केवल इस बात के लिए नक्सलियों ने मार डाला चूँकि वे ब्राह्मण थे या भूमिहार या राजपूत जाति में पैदा हुए थे...
तो न्याय की परिभाषा पर लम्बी बहस छिड़ेगी.
उस बहस का नतीजा जो भी निकले
लेकिन न्याय मिलने में देरी से ऐसे आक्रोश समाज में उठेंगे ही...
ऐसी सेनाएं बनेंगी ही.....!!

एक दिन ऐसा आ सकता है कि हमें भी हथियार उठाने होंगे मगर वे देश रक्षा के लिए
उठें तो ठीक है
नक्सलियों और जेहादियों के विरुद्ध युद्ध के लिए उठें तो ठीक है
ये हथियार हिन्दुओं की ही पिछड़ी और दलित गरीब जातियों के विरुद्ध कभी नहीं उठने चाहिए
जातिवाद की राजनीति करने वाले कुछ नेताओं के बहकावे मैं आकर हिन्दू समाज में नक्सली जहर घोल रहे हैं ....गांवों में हिन्दुओं के आपसी संबंधों में आग लगवा रहे हैं...!!chief

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