Thursday, 15 December 2011

Panchtantra in times of UPA - करकट दमनक और जंगल की महारानी

For all Panchtantra fans.

This was written by someone in 2008. Times change, UPA 1 becomes UPA 2. But things remain the same.

करकट दमनक और जंगल की महारानी

जंगल मे महाराज के आकस्मिक निधन हो जाने पर करकट दमनक ने महारानी तो तख्त का वारिस घोषित कर अपनी तिकडी को फ़िट करने की बहुत कोशिश की, पर महारानी ने एक बैल को चुना जो जुगाली करने के अलावा सिर्फ़ सिर हिलाता रहता था, लेकिन फ़िर भी महारानी को करकट दमनक और पिंगलक की सहायता तो लेनी ही पडी.

काफ़ी वक्त गुजर गया, महारानी भी जंगल की राजनीती मे अपनी समझ दिखाने लगी थी, महारानी ने जैसे ही जंगल मे चुनाव कराने की इच्छा जाहिर की, दमनक ने तडाक से जंगल के कर्मचारियो के वेतन बढाने की घोषणा महारानी से करवा दी.

करकट दमनक और पिंगलक पुराने खिलाडी थे, उन्होने तुरंत भाप लिया महारानी अब सीधे सीधे खुद या फ़िर राजकुमार के नाम पर शासन संभालना चाहती है

पिंगल नाम का सुअर जो हमेशा उस जगह अपनी थूथन गडाये फ़िरता था जहा माल मिलने की कोई संभावना हो, महाराज के खजाने की देख रेख के नाम पर हरएक से कुछ ना कुछ निकलवाने मे उस्ताद था, उसी ने ने महाराज के चुनाव आदेश के नाम पर मोटा माल वसूल कर आधा अपने घर भेजा आधा महाराज के पास जमा करा दिया था

जंगल मे व्यापारियो ने पिंगल को दिये पैसे तुरंत पूरे करने के लिये माल की कमी दिखा कर रेट दुगने चौगुने वसूल करने शुरू कर दिये.

जनता त्राही त्राही करने लगी, बात महारानी तक पहुची, महारानी ने मिटिंग बुलाई, दमनक ने महारानी को पक्का यकीन दिला दिया की महंगाई कही नही बढी है केवल जंगल मे ये कुछ विरोधी पार्टी के लाला लोग माल दबाकर मोटा माल कमाने की फ़िराक मे है अगर आपकी आज्ञा हो तो सेनापती को बुला कर माल जब्त करा देते है. जनता को भी लगेगा कि हमने कुछ किया और विरोधी पार्टी के कुछ बंदे भी अपने कब्जे मे आ जायेगे

बाकी सारी जनता आपके ही गुण गा रही है, पर राजकुमार के लिये वक्त ठीक नही चल रहा राजपुरोहित का कहना है कि उन्हे एक सौ एक दलितो के घर जाकर मांग कर खाना चाहिये इस टोटके के बाद राजकुमार के राजयोग मे कोई परेशानी नही आयेगी, एक पंथ दो काज हो जायेगे, राजकुमार को जनता के बीच भेज कर दिखवा लीजीये,

महारानी को बात जमी, और राजकुमार जनता के बीच हाथो हाथ लिये गये. राजकुमार किसी भी दलित के घर जाकर अपने आदमियो से खाना बनवाकर जनता के साथ बैठ्कर खाते और अपना बिस्तर किसी के भी घर मे बिछवा कर रातगुजार लेते. जनता उन्हे देखने मे लगी थी और दमनक करकट के भेजे चेले उनकी इतनी जय जयकार करते कि उन्हे लगता वो वाकई राजकुमार है और जंगल के मालिक.

लेकिन महगांई तो वाकई मे बढ चुकी थी खाने पकाने का ईधन से लेकर खाने का सामान सभी बाजार मे बहुत महंगा मिल रहा था, ऐसे मे करकट दमनक और पिंगल ने मिलकर अखबार वालो को बुला कर बताया कि जनता के पास आज बहुत पैसे है जिनकी वजह से वोह ढेरो वस्तुये खरीद रहे है महारानी के शासन मे उनका जीवन स्तर बढ गया है.

आप देखिये आज बाजार मे कोई इलेक्ट्रोनिक सामान खरीदिये हमने चीन से सस्ते सामान आयात करा दिये है, बाजार मे प्रतिस्पर्धा बढी है. लोगो को चाईनीज थाई इतेलियन खाना खाने की आदते पड गई है जिसके वजह से जंगल मे उपलब्ध देसी खाना हमने विदेशो मे बेचने वाले किसानो को सबसिडी देकर मोटी कमाई करवाई है.

देखिये शराब की बिक्री के आकडे बताते है कि जनता के पास बहुत पैसा है. हमने जो माल खुलवाये है, दुनिया भर की बडी बडी कम्पनी के जंगल मे खुले आऊट लेट बताते है कि महंगाई कही नही है. घंटॊ लाईन मे लग कर फ़िर कही अंन्दर जाने का नंबर आता है, अभी हम आपलोगो की ही मांग पर जुए के अड्डो को कानूनी रूप देने मे लगे है, और आप कहते है महंगाई बढ रही है ?

आपलोग सिर्फ़ अपना अखबार चलाने के लिये रोज गलत खबरे दे रहे है, अगर आप इस वक्त हमारा सहयोग नही करेगे तो यकीन रखियेगा हम भी पहले की तरह आपलोगो को पदमश्री वगैरा नही दे पायेगे

आप लोग ऐसा कीजीये इस वक्त हमे आपकी और आपके अखबार या चैनल को सरकारी सहायता की जरूरत है.

हर दस मिनिट बाद ये एड हर दस मिनिट मे आपके चैनल पर दिखाई देगे, लेकिन अगर अभी भी आप महंगाई का रोना जारी रखते है तो विज्ञापन को भूल ही जाईये,

आने वाले वक्त मे बच्चे से लेकर बूढे तक की जबान पर यही विज्ञापन होगा लोग महंगाई भूल चुके होगे.

बस उसी दिन से जंगल के हर बडे बच्चे के मुंह से यही निकल रहा है, "बिंदास बोल कंडोम बोल," सरकार महंगाई शब्द को ही कंडम कर चुकी है,

महारानी और राजकुमार जोश मे है, करकट दमनक और पिंगल मिलकर राजकुमार को गद्दी पर बैठाने की जोर शोर से घोषणा मे व्यस्त हैं, जंगल की जनता हमेशा की तरह त्रस्त है.

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