ये कहानी नहीं सत्य घटना है (एक शोषित बहिन की दास्तान है)
एक नन ने आपनी आत्मकथा लिख कर कैथोलिक समुदाय को झकझोर रख दिया है. केरल की एक पूर्व नन ने अपनी आत्मकथा में लिखा है कि कैथोलिक चर्च में पादरियों द्वारा ननों का यौन शोषण किया जाता है. हालांकि अभी यह किताब औपचारिक रूप से रिलीज नहीं हुई है. इससे पहले एक अंग्रेजी अखबार में उनकी आत्मकथा का कुछ अंश छपा है.
पूर्व नन अपनी आत्मकथा 'ननमा निरंजवले स्वस्ति' में सिस्टर मैरी चांडी (67) ने लिखा है कि एक पादरी ने उसके साथ बलात्कार करने की कोशिश की, इसका विरोध करने पर उन्हें चर्च छोड़ना पड़ा था. यह घटना 12 साल पहले की है.
सिस्टर मैरी ने लिखा है मैंने 'वायनाड गिरिजाघर' में हुए अपने अनुभव को समेटने की कोशिश की है. उनके मुताबिक चर्च में जिंदगी आध्यात्मिकता के बजाय वासना से भरी थी.
उन्होंने लिखा है कि एक पादरी ने मेरे साथ बलात्कार करने की कोशिश की थी. मैंने उस पर स्टूल चलाकर इज्जत बचाई थी.
सिस्टर मैरी ने लिखा है कि मैंने जाना कि पादरी और नन दोनों ही मानवता की सेवा के संकल्प से भटक जाते हैं और अपनी शारीरिक जरूरतों की पूर्ति में लगे रहते हैं.
यह वजह है कि उन्होंने तंग आकार गिरजाघर और कॉन्वेंट छोड दिया. हालांकि सिस्टर मैरी ने अपनी जिंदगी के 40 साल नन के रूप में बिताए हैं.
जैसा कि सिस्टर मैरी ने लिखा है कि उन्होंने 13 साल की उम्र में घर से भागकर नन बनी थी. चालीस साल तक चर्च से जुड़ी रही लेकिन इसके बदले उन्हें शोषण और अकेलापन झेलना पड़ा.
मालूम हो कि चर्च में हो रहे यौन शोषण पर लिखी गयी यह पहली किताब नहीं है. करीब दो साल पहले एक नन सिस्टर जेस्मी की पुस्तक 'आमेन: द ऑटोबायॉग्रफी ऑफ ए नन' ने एक किताब तहलका मचा दिया था. उनकी किताब ने भी कॉन्वेंट में हो रहे यौन शोषण और व्यभिचार का खुलासा किया था.
एक नन ने आपनी आत्मकथा लिख कर कैथोलिक समुदाय को झकझोर रख दिया है. केरल की एक पूर्व नन ने अपनी आत्मकथा में लिखा है कि कैथोलिक चर्च में पादरियों द्वारा ननों का यौन शोषण किया जाता है. हालांकि अभी यह किताब औपचारिक रूप से रिलीज नहीं हुई है. इससे पहले एक अंग्रेजी अखबार में उनकी आत्मकथा का कुछ अंश छपा है.
पूर्व नन अपनी आत्मकथा 'ननमा निरंजवले स्वस्ति' में सिस्टर मैरी चांडी (67) ने लिखा है कि एक पादरी ने उसके साथ बलात्कार करने की कोशिश की, इसका विरोध करने पर उन्हें चर्च छोड़ना पड़ा था. यह घटना 12 साल पहले की है.
सिस्टर मैरी ने लिखा है मैंने 'वायनाड गिरिजाघर' में हुए अपने अनुभव को समेटने की कोशिश की है. उनके मुताबिक चर्च में जिंदगी आध्यात्मिकता के बजाय वासना से भरी थी.
उन्होंने लिखा है कि एक पादरी ने मेरे साथ बलात्कार करने की कोशिश की थी. मैंने उस पर स्टूल चलाकर इज्जत बचाई थी.
सिस्टर मैरी ने लिखा है कि मैंने जाना कि पादरी और नन दोनों ही मानवता की सेवा के संकल्प से भटक जाते हैं और अपनी शारीरिक जरूरतों की पूर्ति में लगे रहते हैं.
यह वजह है कि उन्होंने तंग आकार गिरजाघर और कॉन्वेंट छोड दिया. हालांकि सिस्टर मैरी ने अपनी जिंदगी के 40 साल नन के रूप में बिताए हैं.
जैसा कि सिस्टर मैरी ने लिखा है कि उन्होंने 13 साल की उम्र में घर से भागकर नन बनी थी. चालीस साल तक चर्च से जुड़ी रही लेकिन इसके बदले उन्हें शोषण और अकेलापन झेलना पड़ा.
मालूम हो कि चर्च में हो रहे यौन शोषण पर लिखी गयी यह पहली किताब नहीं है. करीब दो साल पहले एक नन सिस्टर जेस्मी की पुस्तक 'आमेन: द ऑटोबायॉग्रफी ऑफ ए नन' ने एक किताब तहलका मचा दिया था. उनकी किताब ने भी कॉन्वेंट में हो रहे यौन शोषण और व्यभिचार का खुलासा किया था.