जब बाबा रामदेव कालेधन का मुद्दा उठाते हैं तो नेता उन्हें चुप रहने को कहते हैं, कहते हैं कि बस योग कराओ, वही आपका काम है, राजनीति में मत आना। अन्ना लोकपाल के अलावा जिस भी मुद्दे पर कुछ भी बोले तो उनकी भी आलोचना की गयी कि राजनीति ना करें।
लेकिन अब सचिन को बुलावा भेज कर राज्यसभा पहुंचाया गया हैं और अब तो बाक़ायदा उनके कांग्रेस ज्वाइन करने के लिए पिच तैयार की जा रही है। फिर भी इसे सचिन की व्यक्तिगत सोच और सरकार का निर्णय कहा जा रहा है। उनका विरोध क्यों नही किया जा रहा कि आप तो बस खिलाड़ी हो, क्रिकेट खेलो, संसद में ना घुसें, राजनीति से दूर रहें...
सरकार का यह दोहरा चरित्र क्यों? यह भेदभाव क्यों?
जो पक्ष में आए, उसके सात खून माफ़। जो विरोध में बोले उस पर आधी रात को लाठी चार्ज?
लेकिन अब सचिन को बुलावा भेज कर राज्यसभा पहुंचाया गया हैं और अब तो बाक़ायदा उनके कांग्रेस ज्वाइन करने के लिए पिच तैयार की जा रही है। फिर भी इसे सचिन की व्यक्तिगत सोच और सरकार का निर्णय कहा जा रहा है। उनका विरोध क्यों नही किया जा रहा कि आप तो बस खिलाड़ी हो, क्रिकेट खेलो, संसद में ना घुसें, राजनीति से दूर रहें...
सरकार का यह दोहरा चरित्र क्यों? यह भेदभाव क्यों?
जो पक्ष में आए, उसके सात खून माफ़। जो विरोध में बोले उस पर आधी रात को लाठी चार्ज?